मदिरा नष्टीकरण में १३ करोड़ का घोटाला

आबकारी विभाग के डिप्टी कमिश्नर और रायसेन की असिस्टेंट कमिश्नर की लापरवाही साफ तौर पर सामने आ रही है
Pankaj Singh Bhadoriya
आबकारी विभाग जिला रायसेन के नष्टीकरण प्रेस रिलीज अनुसार एक दिन में कुछ घंटे के भीतर लगभग 55 हज़ार पेटी यानी करीब 50 ट्रक बियर का नष्टीकरण कर दिया गया। एक पेटी में करीब 8 लीटर शराब (बियर) होती है। इस तरह 55000 मल्टीप्लाई 8 इक्वल टू 4.5 लाख लीटर शराब हुई। यानी 4.50 लाख लीटर शराब का नष्टीकरण फैक्ट्री प्रीमईस के भीतर किया गया जो प्रैक्टिकली संभव ही नहीं है। रोजरचक गांव स्थित फैक्ट्री के ठीक पीछे बस्ती है इतनी बड़ी मात्रा में इस जहरीली शराब के डिस्पोजल से बस्ती को डूब जाना चाहिए था? फैक्ट्री के आजू-बाजू में खेत हैं जहां फसल बोई गई है क्या वह फसल खेत डूब में नहीं आ गए होंगे? और इतनी बल्क में जहरीला लिक्विड अगर फैक्ट्री के भीतर डिस्चार्ज हुआ तो खुद फैक्ट्री डूब में आ जाना चाहिए थी।
15 करोड रुपए की शराब कैसे बदली 4 करोड़ में
प्रेस नोट में नष्टीकरण की गई बियर की कीमत 4 करोड़ के लगभग बताई गई है जबकि वास्तविक कीमत १५ करोड़ है। सोम की हंटर ब्रांड बियर की मार्केट वैल्यू २५० रुपए प्रति बोतल के करीब है। यदि औसत एक बोतल की कीमत २०० रुपया मान लिया जाए तो एक पेटी में 12 २००= २४00 रुपया इस तरह 55000 पेटी शराब की कीमत 55000 २४00 बराबर १३.२० करोड़ रुपया होती है। विभाग ने जानबूझकर नष्टीकरण की गई बियर की कीमत को आधे से भी कम दिखाया गया।
शराब नाशक्तिकरण में मीडिया को रखा गया दूर
नष्टीकरण की कार्यवाही में नियम और प्रचलित परंपरा अनुसार को मिलकर नष्टीकरण समिति बनाई जाती है। उक्त शराब नष्टीकरण में मात्र आसवक और आबकारी विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में नष्टीकरण संपन्न कराया गया जो प्रेस रिलीज के साथ दिए गए वीडियो फुटेज और फोटोग्राफ से स्पष्ट है। मदिरा नष्टीकरण की कार्यवाही में मीडिया को कवरेज के लिए बुलाया जाता है उक्त नष्टीकरण कार्यवाही में मीडिया को नहीं बुलाया गया तथा नष्टीकरण कार्यवाही मीडिया की अनुपस्थिति में की गई। जारी किए गए फोटोग्राफ्स और वीडियो में स्पष्ट है की कुछ सौ पेटीयो को ही रोलर के नीचे दबाकर नष्ट किए जाने की कार्यवाही की गई। शेष पेटियां कहां है कुछ स्पष्ट नहीं है। सूत्रों की माने तो जिला आबकारी अधिकारी और आसवक की सेटिंग से 80 / 20% पर पूरा काम हुआ।
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उल्लेखनीय है कि यह बियर छत्तीसगढ़ के वेयरहाउस में 6 महीने से ज्यादा की मैन्युफैक्चरिंग होने के आधार पर एक्सपायर हो जाने से आसवक द्वारा वापस लाई गई थी जिसकी सूचना मध्य प्रदेश आबकारी को बिना दिए फैक्ट्री परिसर में रखवाई थी। सूत्रों की माने तो छत्तीसगढ़ में ED और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के छापे से जिस बड़े आबकारी घोटाले का पर्दाफाश हुआ था (जिसमें पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा पिछले दिनों ED द्वारा गिरफ्तार किए जा चुके हैं) से यह शराब संबंधित है जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ कॉरपोरेशन की मिलीभगत का भंडाफोड़ होने पर सोम की यह बीयर वहां रखी रखी एक्सपायर हो गई जिसे गलत तरीके से वापस सोम फैक्ट्री बुलाया गया। इसके बाद इस अवैध कृत्य के लिए सोम आसवनी पर कोई वैधानिक कार्यवाही अथवा बड़ा जुर्माना किए बगैर नष्टीकरण के लिए 9 - 10 महीने का समय लिया गया। यह 9 - 10 महीना का समय लिया ही इसलिए गया कि इस शराब को डिस्पोज करने का आसावक को समय मिल जाए। उल्लेखनीय है कि सोम अपने अलग-अलग एम्पलाइज के नाम पर रिटेल कारोबार भी करता है। सूत्रों की माने तो रिटेल दुकानों के माध्यम से इस 55000 पेटी एक्सपायर बियर को अवैध तरीके से अपनी रिटेल दुकानों के माध्यम से बेचा गया और 9- 10 महीने बाद विभाग के अधिकारियों से सेटिंग करके कागज पर इसका नष्टीकरण दिखाया गया।
55000 पेटी शराब को मात्र कुछ घंटे में नष्ट किया गया। यह सोम की बियर फैक्ट्री के गोदाम में रखी गई थी। इतनी बड़ी मात्रा को इतने कम समय में नष्टीकरण हेतु नष्टीकरण साइट पर ले जाने के लिए कई सौ मजदूरों की आवश्यकता होगी। इस काम के लिए 500 - 1000 मजदूर बुलाए जाते तो भी इतनी मात्रा में शराब, वह भी एक दिन में और मात्र एक-दो घंटे के भीतर नष्टीकरण साइट पर ले जाना और नष्ट कराना असंभव है। यह मान लिया जाए कि शराब अलग-अलग दिनों में नष्टीकरण साइट पर शिफ्ट की गई तब तो अलग-अलग दिनों के कई पंचनामें बनेंगे जो नहीं बने और फिर इतनी शराब को एक साथ रखने की स्पेस (फोटो में दिख रही जगह अनुसार) है ही नहीं। फिर कुछ घंटे में इतनी बड़ी मात्रा में शराब कैसे और किस तरह नष्ट कर दी गई बड़ा सवाल है। यानी यहां पर नष्टीकरण के नाम पर सरकारी राजस्व को हानि पहुंचाते हुए करोड़ों रुपए का गबन किया गया, जिसकी ईओडब्ल्यू अथवा किसी अन्य एजेंसी से जांच कराए जाने की आवश्यकता है।