पत्नी भी पति को बांध सकती है राखी? जानिए क्या कहते हैं शास्त्र, क्या है समाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण?

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन का त्योहार भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है, जिसे हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व भाई-बहन के बीच प्रेम, सुरक्षा और एक-दूसरे के प्रति दायित्व का प्रतीक माना जाता है. इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी लंबी उम्र तथा खुशहाली की कामना करती है. वही, भाई अपनी बहन की सुरक्षा का वचन देता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पर्व पर एक सवाल अक्सर पूछा जाता है – क्या पत्नी अपने पति को राखी बांध सकती है? इस सवाल का उत्तर शास्त्र, परंपरा और समाज के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है. आइए इस बारे में समझते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से कि क्या यह शास्त्र सम्मत है.
रक्षाबंधन का पारंपरिक अर्थ
रक्षाबंधन की परंपरा में राखी बांधने का एक गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है. पंडित अरविंद मिश्र के अनुसार, राखी एक पवित्र धागा है, जिसे बहन अपने भाई की कलाई पर बांधती है. यह राखी न केवल सुरक्षा का प्रतीक होती है, बल्कि इसमें बहन की दीर्घायु, समृद्धि और खुशी की कामना भी छिपी रहती है. यह रिश्ता भाई-बहन के बीच स्नेह, विश्वास और एक-दूसरे को बचाने के वचन से जुड़ा होता है.
क्या पत्नी पति को राखी बांध सकती है?
यह सवाल समाज और शास्त्र दोनों के दृष्टिकोण से विचारणीय है. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि पत्नी द्वारा पति को राखी बांधने की परंपरा नहीं है. इसके पीछे कारण यह है कि राखी का बंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है, जिसमें निःस्वार्थ प्रेम और देखभाल की भावना निहित होती है. जबकि पति-पत्नी का संबंध प्रेम, समर्पण और सहयोग पर आधारित होता है. यदि पत्नी अपने पति को राखी बांधती है, तो यह रिश्तों की मर्यादा और समाजिक परंपरा के खिलाफ माना जाता है.
शास्त्रीय दृष्टिकोण से भी, इस कार्य को अनुचित माना जाता है. क्योंकि राखी बांधने की प्रक्रिया विशेष रूप से भाई की सुरक्षा और समृद्धि की कामना के लिए होती है. यदि यह काम पति-पत्नी के रिश्ते में किया जाता है, तो यह उन दोनों के बीच के दांपत्य संबंधों को प्रभावित कर सकता है, जिससे जीवन में समस्याएं आ सकती हैं.शास्त्र और पुराणों में क्या है इस विषय पर?
अगर हम पुराणों की बात करें, तो कहीं भी “पत्नी द्वारा पति को राखी बांधने” का उल्लेख नहीं मिलता है. चाहे वह भगवद्गीता हो, महाभारत हो, रामायण हो, या फिर अन्य कोई प्रमुख धर्मग्रंथ, इनमें यह परंपरा कहीं दिखाई नहीं देती. खासकर भविष्य पुराण में रक्षाबंधन का वर्णन मिलता है, जिसमें इन्द्र की पत्नी शचि ने उन्हें युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए रक्षासूत्र बांधा था, लेकिन यह संदर्भ पति-पत्नी के रिश्ते से अधिक देव-दानव युद्ध से जुड़ा था.
महाभारत में द्रौपदी द्वारा श्रीकृष्ण को राखी बांधने का प्रसंग भी प्रसिद्ध है, लेकिन यहां राखी का उद्देश्य सुरक्षा और समृद्धि से संबंधित था, न कि दांपत्य जीवन से. इस प्रकार, इस परंपरा का संबंध केवल भाई-बहन के रिश्ते से है, न कि पति-पत्नी से.
क्या पत्नी को अपने पति को शुभकामनाएं देने के लिए कोई अन्य तरीका अपनाना चाहिए?
यदि आप अपने पति को शुभकामनाएं देना चाहती हैं, तो इसके लिए आप अन्य वैदिक उपायों का पालन कर सकती हैं, जैसे कि व्रत, पूजा, या अन्य धार्मिक अनुष्ठान. इन उपायों से न केवल आपके पति का कल्याण होता है, बल्कि यह आपके रिश्ते को भी मजबूत बनाता है.
समाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण
धार्मिक और समाजिक दृष्टिकोण से यह महत्वपूर्ण है कि हम परंपराओं का सम्मान करें और किसी भी कार्य को बिना सोचे-समझे न करें. यदि कोई परंपरा शास्त्रों में निर्दिष्ट नहीं है और वह समाजिक मर्यादाओं से टकराती है, तो हमें उसे अपनाने में सतर्क रहना चाहिए. हमारे त्योहारों का गहरा आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व है, जिसे हमें समझकर, सम्मानपूर्वक पालन करना चाहिए.
रक्षाबंधन कब है 2025 में?
इस साल रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा. रक्षासूत्र बांधने का सबसे शुभ समय अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा.