भोपाल में शराब दुकानों पर MRP से ज्यादा वसूली, सोम कंपनी के खिलाफ बढ़ा जन आक्रोश, अवैध अहातों का भी संचालन!

शहर की 63 दुकानों पर चल रही मनमानी, विभागीय चुप्पी पर उठे सवाल
भोपाल। राजधानी भोपाल में शराब बिक्री को लेकर एक गंभीर विवाद खड़ा हो गया है। शहर में शराब वितरण का ठेका संभाल रही सोम डिस्टिलरीज कंपनी पर MRP से अधिक कीमत वसूलने और अवैध अहाते संचालित करने के आरोप लग रहे हैं। कंपनी को भोपाल में 63 शराब दुकानों का संचालन सौंपा गया है, लेकिन इनमें से अधिकांश पर ग्राहकों से खुलेआम मनमानी वसूली की जा रही है। साथ ही शहर शराब दुकानों के बाहर अवैध अहाते संचालित हो रहे हैं। लोग सड़क पर बाहर खड़े होकर शराब सेवन करते देखें जा रहे हैं। इससे न केवल आमजन की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है, बल्कि प्रदेश सरकार की आबकारी नीति की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, इंदौर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों में आबकारी विभाग की निगरानी और कार्रवाई अपेक्षाकृत प्रभावी है, लेकिन भोपाल में सोम कंपनी के प्रभाव के आगे विभागीय अधिकारी निष्क्रिय नजर आ रहे हैं। ग्राहकों की लगातार शिकायतों के बावजूद, अब तक किसी भी दुकान पर कोई ठोस जांच या कार्रवाई नहीं की गई है। विभाग के ही एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कंपनी के राजनीतिक संबंध इतने मजबूत हैं कि अधिकारी कार्रवाई करने से कतराते हैं।
बढ़ता जन आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी
शराब दुकानों पर हो रही इस मनमानी के खिलाफ भोपाल वासियों में जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। कई उपभोक्ता संगठनों और स्थानीय नागरिकों ने आबकारी विभाग को ज्ञापन सौंपकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। संगठनों का कहना है कि, "जब सरकार ने शराब की अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) तय कर रखी है, तो फिर दुकानदारों को अधिक वसूली करने की छूट किस आधार पर दी जा रही है?"
कुछ संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
पॉवर ब्रांड पर 50 से 55 रुपये अधिक वसूली
जानकारी के अनुसार, सोम कंपनी द्वारा संचालित देशी शराब दुकानों पर कंपनी निर्मित पॉवर ब्रांड की बोतलें MRP से 50 से 55 रुपये तक अधिक कीमत में बेची जा रही हैं। यही नहीं, भोपाल की अधिकांश शराब दुकानों के आसपास अवैध अहाते भी चल रहे हैं, जहाँ लोग खुलेआम शराब का सेवन करते देखे जा सकते हैं। इससे स्थानीय निवासियों, खासकर महिलाओं और बच्चों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि शराब दुकानों को सार्वजनिक स्थलों से दूर और नियंत्रित वातावरण में चलाना चाहिए, लेकिन यहां तो कानून का मखौल उड़ाया जा रहा है।