Pankaj Singh Bhadoriya 

भोपाल - मध्य प्रदेश में शराब की पुरानी बोतल में नई शराब भरने की कवायद शुरू हो गई है. एमपी में एक तरफ  मोहन सरकार शराब बंदी की तरफ़ आगे बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ नई शराब नीति में पुरानी शराब नीति की तर्ज़ पर कई अहम प्रावधान किए जाने की खबर हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री मोहन यादव कैबिनेट ने 17 धार्मिक स्थलों पर पूर्ण शराबबंदी का निर्णय लिया है। वहीं, सूत्रों के मुताबिक नई शराब नीति में एक बार फिर शराब ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए अहाते खोलने जा रहे हैं। ख़ास बात ये है, कि इस बार इनका नाम बदलकर परमिट बार किया जा रहा है। इससे  सुराप्रेमी दुकान से शराब खरीदकर परमिट बार में बैठकर शराब पी सकेंगे। यानी कि माना जा रहा है कि शराब बंदी की ओर एक तरफ सरकार बढ़ रही है. वहीं डॉट बियर के जरिए सरकार के मिशन पर भांग घोली जा रही है. इससे न सिर्फ मुनाफा विवादों में रही सोन कंपनी को मिलेगा. इसके साथ ही सरकार के मिशन को भी नुकसान पहुंचेगा क्योंकि. सरकार एक तरफ शराब बंदी की बात कर रही है. वहीं दूसरी तरफ डॉट बियर को बनाने के लिए कंपनी की तैयारी कर रही है. 

 उमा को दरकिनार कर शराब ठेकेदार और डिसलरों को फायदा पहुंचाने की मंशा 

 दरअसल, तत्कालीन मुख्यमंत्री   शिवराज सिंह चौहान ने एमपी की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की मांग पर शराब अहाते बंद करने का आदेश जारी किया था। मोहन यादव सरकार में बैठे अफसर मुख्यमंत्री की मंशा के ख़िलाफ़ नई शराब नीति में घुमा फिराकर ऐसे प्रावधान करने जा रहे हैं, जिससे शराब ठेकेदारों और डिशलरो को फायदा पहुंचाया जा सके। 

 डॉट बीयर भी शराबबंदी में सबसे बड़ा रोड़ा 

एमपी में कम पैसे में मिल रही डॉट बीयर शराबबंदी में रोड़ा बन रही है। दरअसल युवा अपने जेब खर्च के हिसाब से कम पैसों में डॉट बीयर पीते हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए, कि सबसे पहले एमपी में डॉट बीयर बनाने पर प्रतिबंध लगाया जाए। इससे युवाओं में बढ़ रही नशे की लत को रोक जा सकता है।